एक छोटी सी कामना

सोच की गति सी गतिमय , मैं ढूंढ़ती थी अपना परिचय कुछ शुन्य सा था जीवन में, और प्रश्न थे अतिशय कौन हु मैं, कौन है मेरा और क्या है संभावना ? एक लक्ष्य ले के निकल पड़ी -माँ बनने की कामना। करके निश्चय प्रबल, चल दी मैं अति सावधान करने स्वयं को सफल, पार किया हर एक व्यवधान अपनो...